दिल्ली पत्रकार एसोसिएशन और साथियों ने दैनिक भास्कर के पत्रकार तरुण सिसोदिया की मौत मामले की न्यायिक जांच की मांग की है। उसका कहना है कि तरुण की मौत संदिग्ध है और इसकी जांच होनी ही चाहिए। हालांकि सरकार की तरफ से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
सोमवार शाम को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स में हो गई थी. तरुण कोरोना पॉज़िटिव थे और एम्स में उनका इलाज चल रहा था. तरुण के पत्रकार साथी उनकी मौत पर न्यायिक जाँच की मांग कर रहे हैं. इस सिलसिले में दिल्ली के प्रेस क्लब में पत्रकारों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन भी किया है.जबकि स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने एम्स को एक कमेटी गठित कर इस मामले की जाँच के आदेश पहले ही दे दिए हैं.
तरुण सिसोदिया की मौत पर एम्स की तरफ़ से बाक़ायदा एक प्रेस रिलीज़ जारी कर पूरे मामले पर विस्तृत जानकारी दी गई. अस्पताल की तरफ़ से जारी प्रेस रिलीज़ में कहा गया है कि 24 जून को तरुण को कोविड-19 के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्हें आईसीयू में रखा गया था, जिसके बाद उनकी स्थिति में सुधार भी हो रहा था.
अस्पताल का कहना है कि उन्हें सोमवार को जनरल वार्ड में शिफ्ट करने का प्लान किया जा रहा था. अस्पताल द्वारा जारी प्रेस रिलीज़ में इस बात का ज़िक्र है कि इसी साल मार्च के महीने में एक ख़ास तरह के ब्रेन ट्यूमर के लिए दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में उनकी सर्जरी भी हुई थी. एम्स में इलाज के दौरान उन्हें रह-रह कर दौरे आते थे जिसके इलाज के लिए उन्हें न्यूरोलॉजिस्ट और साइकियाट्रिस्ट को दिखाया गया और वो दवाइयां भी चल रही थी.
अस्पताल का कहना है कि उनके परिवार को इस बारे में समय-समय पर अस्पताल की तरफ़ से पूरी जानकारी भी दी जा रही थी. लेकिन तरुण की मौत पर पत्रकार साथी कई तरह के सवाल उठा रहे हैं.पत्रकार मुकेश केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा है, "बहुत दुख और चिंता की बात है. दैनिक भास्कर के हेल्थ रिपोर्टर की एम्स दिल्ली में मौत हो गई. उन्हें कोरोना था. उनकी मौत को आत्महत्या बताया गया है. मगर उन्होंने अपनी हत्या की आशंका जताई थी. अस्पताल में बहुत-सी गड़बड़ियों की शिकायत भी की थी."
पत्रकार शिशिर सोनी ने ट्विटर पर लिखा, "5 दिन से उन्हें ऑक्सीजन की ज़रूरत नहीं थी, बिना ऑक्सीजन के वो चल रहा था, फिर भी आईसीयू में क्यों रखा गया? जब वो आईसीयू में भर्ती थे तो फिर चौथे फ्लोर पर कैसे पहुँचे ? जब वो आईसीयू में थे तो पांच दिन से वो परिवार से बातचीत करना चाह रहे थे पर किसी ने उनकी बात नहीं कराई, क्यों? उसने उनका मोबाइल क्यों छीना गया?"
तरुण की मौत की ख़बर के साथ ही उनके साथी उनकी मौत की जाँच की मांग कर रहे थे. सोशल मीडिया पर देर शाम वे #justicefortarunsisodia के साथ ट्वीट कर रहे थे. इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने एम्स के डायरेक्टर को जाँच कमेटी बनाने करने का आदेश दिया. कमेटी को 48 घंटे के अंदर अपनी रिपोर्ट देनी है. लेकिन #justicefortarunsisodia की मांग करने वाले पत्रकार साथियों का मानना है कि जब इल्ज़ाम ही एम्स पर है तो फिर उसी की जाँच समिति निष्पक्ष जाँच कैसे कर सकती है. लिहाजा पत्रकार साथी न्यायिक जांच की मांग कर रहे हैं. इस पूरे मुद्दे पर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की तरफ़ से कोई बयान अब तक नहीं आया है.
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